
Shiv Bhajan: Shiv Amritvani Lyrics Full
Album: Shiv Amritwani
Singer: Anuradha Paudwal
Lyricist: Traditional
Music Label: T-Series
LISTEN SONG ONLINE
यह भी देखें - You May Also Like
- 👉🏻 शिव शिव शंकरा नमः शिवाय - हंसराज रघुवंशी
- 👉🏻 मैं शिव का हूँ शिव मेरे हैं - हंसराज रघुवंशी
- 👉🏻 ऊँची ऊँची वादी में बसते हैं भोले शंकर - हंसराज रघुवंशी
- 👉🏻 शिव समा रहे मुझमें - हंसराज रघुवंशी
- 👉🏻 मेरा भोला है भंडारी करे नंदी की सवारी - हंसराज रघुवंशी
- 👉🏻 मनो बुद्ध्यहंकारचित्तानि नाहम् - नित्य संतोषिनी
- 👉🏻 देवता भी स्वार्थी थे, दौड़े अमृत के लिए - धीरज कांत
- 👉🏻 हे भोले नाथ तेरी महिमा निराली - उदित नारायण
- 👉🏻 तन मन की सुध बिसर - सुरेश वाडकर, अनुराधा पौडवाल
Shiv Amritwani Lyric in Hindi - कल्पतरु पुन्यातामा, प्रेम सुधा शिव नाम हिंदी लिरिक्स
Part – 1
कल्पतरु पुन्यातामा, प्रेम सुधा शिव नाम
हितकारक संजीवनी, शिव चिंतन अविराम
पतिक पावन जैसे मधुर, शिव रसन के घोलक
भक्ति के हंसा ही चुगे, मोती ये अनमोल
जैसे तनिक सुहागा, सोने को चमकाए
शिव सुमिरन से आत्मा, अध्भुत निखरी जाये
जैसे चन्दन वृक्ष को, दस्ते नहीं है नाग
शिव भक्तो के चोले को, कभी लगे न दाग
ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय
दया निधि भूतेश्वर, शिव है चतुर सुजान
कण कण भीतर है, बसे नील कंठ भगवान
चंद्र चूड के त्रिनेत्र, उमा पति विश्वास
शरणागत के ये सदा, काटे सकल क्लेश
शिव द्वारे प्रपंच का, चल नहीं सकता खेल
आग और पानी का, जैसे होता नहीं है मेल
भय भंजन नटराज है, डमरू वाले नाथ
शिव का वंधन जो करे, शिव है उनके साथ
ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय
लाखो अश्वमेध हो, सोउ गंगा स्नान
इनसे उत्तम है कही, शिव चरणों का ध्यान
अलख निरंजन नाद से, उपजे आत्मा ज्ञान
भटके को रास्ता मिले, मुश्किल हो आसान
अमर गुणों की खान है, चित शुद्धि शिव जाप
सत्संगती में बैठ कर, करलो पश्चाताप
लिंगेश्वर के मनन से, सिद्ध हो जाते काज
नमः शिवाय रटता जा, शिव रखेंगे लाज
ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
शिव चरणों को छूने से, तन मन पवन होये
शिव के रूप अनूप की, समता करे न कोई
महा बलि महा देव है, महा प्रभु महा काल
असुराणखण्डन भक्त की, पीड़ा हरे तत्काल
शर्वा व्यापी शिव भोला, धर्म रूप सुख काज
अमर अनंता भगवंता, जग के पालन हार
शिव करता संसार के, शिव सृष्टि के मूल
रोम रोम शिव रमने दो, शिव न जईओ भूल
ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय
Part 2
शिव अमृत की पावन धारा
धो देती है हर कष्ट हमारा
शिव का कार्य सदा सदा सुखदायी
शिव के बिन है कौन सहायी
शिव की निशदिन निशदिन की जो भक्ति
देंगे शिव हर भय से मुक्ति
माथे धरो शिव नाम नाम नाम की धुली
टूट जाएगी यम की सूली सूली
शिव का साधक दुख ना माने
शिव को हर पल सम्मुख जाने
सौंप दी जिसने शिव को डोर
लुटे ना उसको पांचों चोर
शिव सागर में जो जन डूबे
संकट से वह हंस वह हंस हंस के जूझे
शिव है जिनके संगी साथी
उन्हें ना विपदा कभी सताती
शिव भक्तन का पकड़े हाथ
शिव संतन की सदा ही साथ
शिव ने है ब्रह्मांड रचाया
तीनो लोक है है शिव की माया
जिन पर शिव की करुणा होती
वह कंकड़ बन जाते मोती मोती
शिव संग तान तान प्रेम की जोड़ो
शिव के चरण कभी ना ना कभी ना ना छोड़ो
शिव में मनावा मनावा मन को रंग ले
शिव मस्तक की रेखा बदले की रेखा बदले
शिव जन की नस नस जाने
बुरा भला वह सब पहचाने पहचाने
अजर अमर है शिव अविनाशी
शिव पूजन किया किया कटे चौरासी
यहां वहां शिव सर्व व्यापक
शिव की दया के बनिए याचक
शिव को दी जो जो दी जो जो सच्ची निष्ठा
होने ना देगा शिव को रुष्ठा
शिव हे श्रद्धा के ही भूखे
भोग लगे चाहे रूखे सूखे सूखे
भावना शिव को बस में करती
प्रीत से ही तो प्रीत है बढ़ती
शिव कहते हैं मन से से हैं मन से से जागो
प्रेम करो अभिमान त्यागो
दुनिया का मोह त्याग शिव में रहिए लीन
सुख-दुख हानि लाभ तो शिव के ही है अधीन
भस्म रमैया पार्वती वल्लभ
शिव फलदायक शिव है दुर्लभ
महा कौतुकी है शिव शंकर
त्रिशूल धारी शिव अभयंकर
शिव की रचना धरती अंबर
देवों के स्वामी शिव है दिगम्बर
काल दहन शिव रुण्डन पोषित
होने ना देते धर्म को दूषित दूषित
दुर्गा पति शिव शिव गिरिराजनाथ
देते हैं सुखों की प्रभात
सृष्टि कर्ता त्रिपुर धारी
शिव की महिमा कही ना जाती जाती
दिव्या तेज के रवि रवि है शंकर
पूजे हम सब तभी है शंकर
शिव सम सब कोई और दानी
शिव की भक्ति है कल्याणी
सबकी मनोरथ सिद्ध कर देती
सबकी चिंता शिव हर लेते
बम भोला अवधूत स्वरूपा
शिव दर्शन है अति अनूपा
अनुकंपा का शिव है झरना
हरने वाले सब की तृष्णा
भूतों के अधिपति है शंकर
निर्मल मन शुभ मति है शंकर है शंकर
काम के शत्रु बिस के नाशक
शिव महायोगी भाई विनाशक
रूद्र रूप शिव महा महा तेजस्वी
शिव के जैसा कौन तपस्वी
शिव है जग के सृजन हारे
बंधु सखा शिव इष्ट हमारे
गो ब्राम्हण के वे हितकारी
कोई शिव सा पर उपकारी
शिव करुणा के स्रोत है
शिव के करियो प्रीत
शिव की परम पुनीत है
शिव साचा मन मीत
शिव सर्पों के भूषण धारी धारी
पाप के भाषण शिव त्रिपुरारी
जटा जूट शिव चंद्रशेखर
विश्व के रक्षक कला कलेश्वर
शिव की वंदना करने वाला
धन वैभव पा जाये निराला
शिव सा दयालु और ना दूजा
कष्ट निवारक शिव की पूजा
पंचमुखी जब रूप दिखावे
दानव दल में भय छा जावे
डम डम डमरू जब भी बोले
चोर निशाचर का मन डोले
गोट घाट जब भंग चढ़ावे
क्या है लीला समझ ना आवे
शिव है योगी शिव सन्यासी
शिव ही है कैलाश के वासी
शिव का दास सदा निर्भीक है
शिव के धाम बड़े रमणीक
शिव भृकुटि से भैरव जन्मे
शिव की मूरत रखो मन में
शिव का अर्चन मंगलकारी
मुक्ति साधक भव भय हारी हारी
भक्तवत्सल दीन दयाला
ज्ञान सुधा है शिव कृपाला
शिव नाम की नौका है न्यारी
जिसने सबकी चिंता टारी
जीवन सिंधु सहज जो तरना
शिव का हर पल नाम सुमिरना
तारकासुर को मारने वाले
शिव है भक्तों के रखवाले रखवाले
शिव की लीला के गुण गाना
शिव को भूलकर ना बिसरा ना
अंधकासुर के देव देव बचाये
शिव के अद्भुत खेल दिखाये
शिव चरणों से लिपटे रहिये
मुख के शिव शिव जय शिव कहिए
भस्मासुर को वर दे डाला
शिवा है कैसा भोला भाला
शिव तीर्थ का दर्शन कीजो
मनचाहे वर शिव से लीजो
शिव शंकर के जाप से मिट जाते सब रोग
शिव का अनुग्रह होते ही पीड़ा ना देते शोक
ब्रह्मा विष्णु शिव अनुगामी
शिव है दीन हिन के स्वामी
निर्बल के बल रूप हैं शंभु
प्यासे को जल रूप है शंभू
रावण शिव का भक्त निराला
शिव ने दी दस शीश की माला
गर्व से जब कैलाश उठाया
शिव ने अंगूठे से था दबा
दुख निवारण नाम है शिव का
रत्न है और बिन दाम शिव का
शिव है सब के भाग्य विधाता के भाग्य विधाता
शिव का सुमिरन सुमिरन है फल दाता
महादेव शिव औघड़ दानी
बायें अंग में सजे भवानी
शिव शक्ति का मेल का मेल निराला
शिव का हर एक खेल निराला
संभर नामी भक्तों को तारा तारा को तारा तारा
चंद्रसेन का शोक निवारण
पिंगला ने जब शिव को ध्याया
देह छुट्टी और मोक्ष पाया पाया
गोकर्ण कि चन चूका अनारी
भवसागर से पार उतारी
अनुसुइया ने किया आराधना
टूटे चिंता के सब सब बंधन
बेल पत्तों से पूजा करें चण्डली
शिव की अनुकंपा हुई निराली
मार्कंडेय की भक्ति है शिव
दुर्वासा की शक्ति है शिव
राम प्रभु ने शिव अराधा
सेतु की हर टल गई बाधा
धनुष बाण था पाया शिव ने
श्री कृष्ण ने था जब ध्याया
10 पुत्रों का वर था पाया
हम सेवक तो स्वामी शिव है है
अनहद अंतर्यामी शिव है
दीन दयाल शिव मेरे, शिव के रहियो दास
घाट घाट की शिव जानते शिव पर रख विश्वास
परशुराम ने शिव गुण गाया गाया
कीन्हा तप और फरसा पाया
निर्गुण भी शिव निराकार
शिव हैं सृष्टि के आधार
शिव ही होते मूर्तिमान
शिव ही करते जग कल्याण
शिव में व्यापक दुनिया सारी
शिव की सिद्धि है भयहारी
शिव ही बाहर से ही अंदर
शिव की रचना सात समुंदर
शिव है हर एक हर एक के मन के भीतर
शिव हर एक कण कण के भीतर
तन में बैठा शिव ही बोले
दिल की धड़कन में शिव डोले
हम कठपुतली शिव ही नचाता
नैनो को पर नजर ना आता
माटी के रंगदार खिलौने
सांवल सुंदर और सलोनी
शिव हो जोड़े शिव हो तोड़े
शिव तो किसी को खुला ना छोड़े
आत्मा शिव परमात्मा शिव है है
दया भाव धर्मात्मा शिव है
शिव जी दीपक शिव ही बाती
शिव जो नहीं तो सब कुछ माटी
सब देवों में जेष्ठ शिव है
सकल गुणों में श्रेष्ठ शिव है है
जब यह तांडव करने लगता
ब्रह्मांड सारा डर नहीं लगता
तीसरा चछु जब-जब खोलें
त्राहि-त्राहि जब जग बोले
शिव को तुम प्रसन्न ही रखना
आस्था लग्न बनाए रखना
विष्णु ने की शिव शिव की पूजा
कमल चढ़ाऊं मन में सुझा
एक कमल जो कम था पाया
अपना सुंदर नयन चड़ाया
साक्षात तब शिव थे आये
कमलनयन विष्णु कहलाए कहलाए
इंद्रधनुष के रंगों में शिव
संतों के सत्संगों में शिव
महाकाल के भक्त को मार ना सकता काल
द्वार खड़े यमराज को शिव देते टाल
यज्ञ सुदन महा रौद्र शिव है
आनंदमूर्ति नटवर शिव है है
शिव ही है श्मशान के वासी
शिव कांटे मृत्युलोक की फांसी
व्याघ्र चरम कमर में सोहे
शिव भक्तों के मन को मोहे
नंदी गण पर करे सवारी
आदित्य नाथ शिव गंगा धारी
काल में भी तो काल है शंकर है शंकर
विषधारी गज पालक है शंकर
महा सती के पति है शंकर
दीन सखा शुभ मति है शंकर
लाखों शशि के सम मुख वाले
भंग धतूरे के मतवाले
काल भैरव भूतों के स्वामी
शिव से कांपे सब फलगामी
शिव कपाली शिव भस्मागी
शिव की दया हर जीव ने मांगी
मंगलकर्ता मंगलहारी
देव शिरोमणि महासुखकारी
जल तथा विल्व करे जो अर्पण
श्रधा भाव से करे समर्पण
शिव सदा उनकी करते रक्षा
सत्यकर्म की देते शिक्षा
बासुकि नाग कंठ की शोभा
आशुतोष है शिव महादेवा
विश्वमुर्ति करुनानिधान
महा मृत्युंजय शिव भगवान
शिव धारे रुद्राक्ष की माला
नीलेश्वर शिव डमरू वाला
पाप का शोधक मुक्ति साधन
शिव करते निर्दयी का मर्दन
शिव सुमरिन के नीर से धूल जाते पाप
पवन चले नाम की उड़ते दुःख संताप
पंचाक्षर का मन्त्र शिव है
साक्षात् सर्वेश्वर शिव है
शिव को नमन करे जग सारा
सिव का है ये सकल पसारा
क्षीर सागर को मथने वाले
रिधिसीधी सुख देने वाले
अहंकार के शिव है विनाशक
धर्म दीप ज्योति प्रकाशक
शिव बिछुवन के कुण्डलधारी
शिव की माया सृष्टि सारी
महानन्दा ने किया सिव चिंतन
रुद्राक्ष माला किन्ही धारण
भवसिन्धु से शिव ने तारा
शिव अनुकम्पा अपरम्पारा
त्रि जगत के यश है शिवजी
दिव्य तेज गौरीश है शिवजी
महाभार को सहने वाले
वैर रहित दया करने वाले
गुण स्वरूप है शिव अनुपा
अम्बानाथ है शिव तपरूपा
शिव चण्डीश परम सुख ज्योति
शिव करुणा के उज्जवल मोती
पुण्यात्मा शिव योगेश्वर
महादयालु सिव शरणेश्वर
शिव चरणन पे मस्तक धरिये
श्रधा भाव से अर्चन करिए
मन को शिवाला रूप बना लो
रोम रोम में शिव को रमा लो
दशों दिशाओं में शिव दृष्टि
सब पर सिव की कृपा दृष्टि
सिव को सदा ही सम्मुख जानो
कण-कण बीच बसे ही मानो
शिव को सौंपो जीवन नैया
शिव है संकट टाल खिवैया
अंजलि बाँध करे जो वंदन
भय जंजाल के टूटे बन्धन
जिनकी रक्षा शिव करे, मारे न उसको कोय
आग की नदिया से बचे, बाल ना बांका होय
शिव दाता भोला भण्डारी
शिव कैलाशी कला बिहारी
सगुण ब्रह्म कल्याण कर्ता
विघ्न विनाशक बाधा हर्ता
शिव स्वरूपिणी सृष्टि सारी
शिव से पृथ्वी है उजियारी
गगन दीप भी माया शिव की
कामधेनु है छाया शिव की
गंगा में शिव , शिव मे गंगा
शिव के तारे तुरत कुसंगा
शिव के कर में सजे त्रिशूला
शिव के बिना ये जग निर्मूला
.स्वर्णमयी शिव जटा निराळी
शिव शम्भू की छटा निराली
जो जन शिव की महिमा गाये
शिव से फल मनवांछित पाये
शिव पग पँकज सवर्ग समाना
शिव पाये जो तजे अभिमाना
शिव का भक्त ना दुःख मे डोलें
शिव का जादू सिर चढ बोले
परमानन्द अनन्त स्वरूपा
शिव की शरण पड़े सब कूपा
शिव की जपियो हर पल माळा
शिव की नजर मे तीनो क़ाला
अन्तर घट मे इसे बसा लो
दिव्य जोत से जोत मिला लो
नम: शिवाय जपे जो स्वासा
पूरीं हो हर मन की आसा
परमपिता परमात्मा पूरण सच्चिदानन्द
शिव के दर्शन से मिले सुखदायक आनन्द
शिव से बेमुख कभी ना होना
शिव सुमिरन के मोती पिरोना
जिसने भजन है शिव के सीखे
उसको शिव हर जगह ही दिखे
प्रीत में शिव है शिव में प्रीती
शिव सम्मुख न चले अनीति
शिव नाम की मधुर सुगन्धी
जिसने मस्त कियो रे नन्दी
शिव निर्मल ‘निर्दोष’ ‘संजय’ निराले
शिव ही अपना विरद संभाले
परम पुरुष शिव ज्ञान पुनीता
भक्तो ने शिव प्रेम से जीता
आंठो पहर अराधीय ज्योतिर्लिंग शिव रूप
नयनं बीच बसाइये शिव का रूप अनूप
लिंग मय सारा जगत हैं
लिंग धरती आकाश
लिंग चिंतन से होत हैं सब पापो का नाश
लिंग पवन का वेग हैं
लिंग अग्नि की ज्योत
लिंग से पाताल हैँ लिंग वरुण का स्त्रोत
लिंग से हैं वनस्पति
लिंग ही हैं फल फूल
लिंग ही रत्न स्वरूप हैं
लिंग माटी निर्धूप
लिंग ही जीवन रूप हैं
लिंग मृत्युलिंगकार
लिंग मेघा घनघोर हैं
लिंग ही हैं उपचार
ज्योतिर्लिंग की साधना करते हैं तीनो लोग
लिंग ही मंत्र जाप हैं
लिंग का रूम श्लोक
लिंग से बने पुराण
लिंग वेदो का सार
रिधिया सिद्धिया लिंग हैं
लिंग करता करतार
प्रातकाल लिंग पूजिये पूर्ण हो सब काज
लिंग पे करो विश्वास तो लिंग रखेंगे लाज
सकल मनोरथ से होत हैं दुखो का अंत
ज्योतिर्लिंग के नाम से सुमिरत जो भगवंत
मानव दानव ऋषिमुनि ज्योतिर्लिंग के दास
सर्व व्यापक लिंग हैं पूरी करे हर आस
शिव रुपी इस लिंग को पूजे सब अवतार
ज्योतिर्लिंगों की दया सपने करे साकार
लिंग पे चढ़ने वैद्य का जो जन ले परसाद
उनके ह्रदय में बजे… शिव करूणा का नाद
महिमा ज्योतिर्लिंग की जाएंगे जो लोग
भय से मुक्ति पाएंगे रोग रहे न शोब
शिव के चरण सरोज तू ज्योतिर्लिंग में देख
सर्व व्यापी शिव बदले भाग्य तीरे
डारीं ज्योतिर्लिंग पे गंगा जल की धार
करेंगे गंगाधर तुझे भव सिंधु से पार
चित सिद्धि हो जाए रे लिंगो का कर ध्यान
लिंग ही अमृत कलश हैं लिंग ही दया निधान
ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय..
Part – 4 and 5
ज्योतिर्लिंग है शिव की ज्योति, ज्योतिर्लिंग है दया का मोती
ज्योतिर्लिंग है रत्नों की खान, ज्योतिर्लिंग में रमा जहान
ज्योतिर्लिंग का तेज़ निराला, धन सम्पति देने वाला
ज्योतिर्लिंग में है नट नागर, अमर गुणों का है ये सागर
ज्योतिर्लिंग की की जो सेवा, ज्ञान पान का पाओगे मेवा
ज्योतिर्लिंग है पिता सामान, सष्टि इसकी है संतान
ज्योतिर्लिंग है इष्ट प्यारे, ज्योतिर्लिंग है सखा हमारे
ज्योतिर्लिंग है नारीश्वर, ज्योतिर्लिंग है शिव विमलेश्वर
ज्योतिर्लिंग गोपेश्वर दाता, ज्योतिर्लिंग है विधि विधाता
ज्योतिर्लिंग है शर्रेंडश्वर स्वामी, ज्योतिर्लिंग है अन्तर्यामी
सतयुग में रत्नो से शोभित, देव जानो के मन को मोहित
ज्योतिर्लिंग है अत्यंत सुन्दर, छत्ता इसकी ब्रह्माण्ड अंदर
त्रेता युग में स्वर्ण सजाता, सुख सूरज ये ध्यान ध्वजाता
सक्ल सृष्टि मन की करती, निसदिन पूजा भजन भी करती
द्वापर युग में पारस निर्मित, गुणी ज्ञानी सुर नर सेवी
ज्योतिर्लिंग सबके मन को भाता, महमारक को मार भगाता
कलयुग में पार्थिव की मूरत, ज्योतिर्लिंग नंदकेश्वर सूरत
भक्ति शक्ति का वरदाता, जो दाता को हंस बनता
ज्योतिर्लिंग पर पुष्प चढ़ाओ, केसर चन्दन तिलक लगाओ
जो जान करें दूध का अर्पण, उजले हो उनके मन दर्पण
ज्योतिर्लिंग के जाप से तन मन निर्मल होये
इसके भक्तों का मनवा करे न विचलित कोई
सोमनाथ सुख करने वाला, सोम के संकट हरने वाला
दक्ष श्राप से सोम छुड़ाया, सोम है शिव की अद्भुत माया
चंद्र देव ने किया जो वंदन, सोम ने काटे दुःख के बंधन
ज्योतिर्लिंग है सदा सुखदायी, दीन हीन का सहायी
भक्ति भाव से इसे जो ध्याये, मन वाणी शीतल तर जाये
शिव की आत्मा रूप सोम है प्रभु परमात्मा रूप सोम है
यंहा उपासना चंद्र ने की, शिव ने उसकी चिंता हर ली
इसके रथ की शोभा न्यारी, शिव अमृत सागर भवभयधारी
चंद्र कुंड में जो भी नहाये, पाप से वे जन मुक्ति पाए
छ: कुष्ठ सब रोग मिटाये, नाया कुंदन पल में बनावे
मलिकार्जुन है नाम न्यारा, शिव का पावन धाम प्यारा
कार्तिकेय है जब शिव से रूठे, माता पिता के चरण है छूते
श्री शैलेश पर्वत जा पहुंचे, कष्ट भय पार्वती के मन में
प्रभु कुमार से चली जो मिलने, संग चलना माना शंकर ने
श्री शैलेश पर्वत के ऊपर, गए जो दोनों उमा महेश्वर
उन्हें देखकर कार्तिकेय उठ भागे, और ुमार पर्वत पर विराजे
जंहा श्रित हुए पारवती शंकर, काम बनावे शिव का सुन्दर
शिव का अर्जन नाम सुहाता, मलिका है मेरी पारवती माता
लिंग रूप हो जहाँ भी रहते, मलिकार्जुन है उसको कहते
मनवांछित फल देने वाला, निर्बल को बल देने वाला
ज्योतिर्लिंग के नाम की ले मन माला फेर
मनोकामना पूरी होगी लगे न चिन भी देर
उज्जैन की नदी क्षिप्रा किनारे, ब्राह्मण थे शिव भक्त न्यारे
दूषण दैत्य सताता निसदिन, गर्म द्वेश दिखलाता जिस दिन
एक दिन नगरी के नर नारी, दुखी हो राक्षस से अतिहारी
परम सिद्ध ब्राह्मण से बोले, दैत्य के डर से हर कोई डोले
दुष्ट निसाचर छुटकारा, पाने को यज्ञ प्यारा
ब्राह्मण तप ने रंग दिखाए, पृथ्वी फाड़ महाकाल आये
राक्षस को हुंकार मारा, भय भक्तों उबारा
आग्रह भक्तों ने जो कीन्हा, महाकाल ने वर था दीना
ज्योतिर्लिंग हो रहूं यंहा पर, इच्छा पूर्ण करूँ यंहा पर
जो कोई मन से मुझको पुकारे उसको दूंगा वैभव सारे
उज्जैनी राजा के पास मणि थी अद्भुत बड़ी ही ख़ास
जिसे छीनने का षड़यंत्र, किया था कल्यों ने ही मिलकर
मणि बचाने की आशा में, शत्रु भी कई थे अभिलाषा में
शिव मंदिर में डेरा जमाकर, खो गए शिव का ध्यान लगाकर
एक बालक ने हद ही कर दी, उस राजा की देखा देखी
एक साधारण सा पत्थर लेकर, पहुंचा अपनी कुटिया भीतर
शिवलिंग मान के वे पाषाण, पूजने लगा शिव भगवान्
उसकी भक्ति चुम्बक से, खींचे ही चले आये झट से भगवान्
ओमकार ओमकार की रट सुनकर, प्रतिष्ठित ओमकार बनकर
ओम्कारेश्वर वही है धाम, बन जाए बिगड़े वंहा पे काम
नर नारायण ये दो अवतार, भोलेनाथ को था जिनसे प्यार
पत्थर का शिवलिंग बनाकर, नमः शिवाय की धुन गाकर
शिव शंकर ओमकार का रट ले मनवा नाम
जीवन की हर राह में शिवजी लेंगे काम
नर नारायण ये दो अवतार, भोलेनाथ को था जिनसे प्यार
पत्थर का शिवलिंग बनाकर, नमः शिवाय की धुन गाकर
कई वर्ष तप किया शिव का, पूजा और जप किया शंकर का
शिव दर्शन को अंखिया प्यासी, आ गए एक दिन शिव कैलाशी
नर नारायण से शिव है बोले, दया के मैंने द्वार है खोले
जो हो इच्छा लो वरदान, भक्त के में है भगवान्
करवाने की भक्त ने विनती, कर दो पवन प्रभु ये धरती
तरस रहा ये जार का खंड ये, बन जाये अमृत उत्तम कुंड ये
शिव ने उनकी मानी बात, बन गया बेनी केदानाथ
मंगलदायी धाम शिव का, गूंज रहा जंहा नाम शिव का
कुम्भकरण का बेटा भीम, ब्रह्मवार का हुआ बलि असीर
इंद्रदेव को उसने हराया, काम रूप में गरजता आया
कैद किया था राजा सुदक्षण, कारागार में करे शिव पूजन
किसी ने भीम को जा बतलाया, क्रोध से भर के वो वंहा आया
पार्थिव लिंग पर मार हथोड़ा, जग का पावन शिवलिंग तोडा
प्रकट हुए शिव तांडव करते, लगा भागने भीम था डर के
डमरू धार ने देकर झटका, धरा पे पापी दानव पटका
ऐसा रूप विक्राल बनाया, पल में राक्षस मार गिराया
बन गए भोले जी प्रयलंकार, भीम मार के हुए भीमशंकर
शिव की कैसी अलौकिक माया, आज तलक कोई जान न पाया
हर हर हर महादेव का मंत्र पढ़ें हर दिन रे
दुःख से पीड़क मंदिर पा जायेगा चैन
परमेश्वर ने एक दिन भक्तों, जानना चाहा एक में दो को
नारी पुरुष हो प्रकटे शिवजी, परमेश्वर के रूप हैं शिवजी
नाम पुरुष का हो गया शिवजी, नारी बनी थी अम्बा शक्ति
परमेश्वर की आज्ञा पाकर, तपी बने दोनों समाधि लगाकर
शिव ने अद्भुत तेज़ दिखाया, पांच कोष का नगर बसाया
ज्योतिर्मय हो गया आकाश, नगरी सिद्ध हुई पुरुष के पास
शिव ने की तब सृष्टि की रचना, पढ़ा उस नगरों को कशी बनना
पाठ पौष के कारण तब ही, इसको कहते हैं पंचकोशी
विश्वेश्वर ने इसे बसाया, विश्वनाथ ये तभी कहलाया
यंहा नमन जो मन से करते, सिद्ध मनोरथ उनके होते
ब्रह्मगिरि पर तप गौतम लेकर, पाए कितनो के सिद्ध लेकर
तृषा ने कुछ ऋषि भटकाए, गौतम के वैरी बन आये
द्वेष का सबने जाल बिछाया, गौ हत्या का इल्जाम लगाया
और कहा तुम प्रायश्चित्त करना, स्वर्गलोक से गंगा लाना
एक करोड़ शिवलिंग लगाकर, गौतम की तप ज्योत उजागर
प्रकट शिव और शिवा वंहा पर, माँगा ऋषि ने गंगा का वर
शिव से गंगा ने विनय की, ऐसे प्रभु में यंहा न रहूंगी
ज्योतिर्लिंग प्रभु आप बन जाए, फिर मेरी निर्मल धरा बहाये
शिव ने मानी गंगा की विनती, गंगा बानी झटपट गौतमी
त्रियंबकेश्वर है शिवजी विराजे, जिनका जग में डंका बाजे
गंगा धर की अर्चना करे जो मन्चित लाये।
शिव करुणा से उनपर आंच कभी न आये।।
राक्षस राज महाबली रावण, ने जब किया शिव तप से वंदन
भये प्रसन्न शम्भू प्रगटे, दिया वरदान रावण पग पढ़के
ज्योतिर्लिंग लंका ले जाओ, सदा ही शिव शिव जय शिव गाओ
प्रभु ने उसकी अर्चन मानी, और कहा रहे सावधानी
रस्ते में इसको धरा पे न धरना, यदि धरेगा तो फिर न उठना
शिवलिंग रावण ने उठाया, गरुड़देव ने रंग दिखाया
उसे प्रतीत हुई लघुशंका, उसने खोया उसने मन का
विष्णु ब्राह्मण रूप में आये, ज्योतिर्लिंग दिया उसे थमाए
रावण निभ्यात हो जब आया, ज्योतिर्लिंग पृथ्वी पर पाया
जी भर उसने जोर लगाया, गया न फिर से उठाया
लिंग गया पाताल में उस पल, अध् ांगल रहा भूमि ऊपर
पूरी रात लंकेश चिपकाया, चंद्रकूप फिर कूप बनाया
उसमे तीर्थों का जल डाला, नमो शिवाय की फेरी माला
जल से किया था लिंग अभिषेक, जय शिव ने भी दृश्य देखा
रत्न पूजन का उसे उन कीन्हा, नटवर पूजा का उसे वर दीना
पूजा करि मेरे मन को भावे, वैधनाथ ये सदा कहाये
मनवांछित फल मिलते रहेंगे, सूखे उपवन खिलते रहेंगे
गंगा जल जो कांवड़ लावे, भक्तजन मेरे परम पद पावे
ऐसा अनुपम धाम है शिव का, मुक्तिदाता नाम है शिव का
भक्तन की यंहा हरी बनाये, बोल बम बोल बम जो न गाये
बैधनाथ भगवान् की पूजा करो धर ध्याये
सफल तुम्हारे काज हो मुश्किलें आसान
सुप्रिय वैभव प्रेम अनुरागी, शिव संग जिसकी लगी थी
ताड़ प्रताड दारुक अत्याचारी, देता उसको प्यास का मारी
सुप्रिय को निर्लज्पुरी लेजाकर, बंद किया उसे बंदी बनाकर
लेकिन भक्ति छुट नहीं पायी, जेल में पूजा रुक नहीं पायी
दारुक एक दिन फिर वंहा आया, सुप्रिय भक्त को बड़ा धमकाया
फिर भी श्रद्धा हुई न विचलित, लगा रहा वंदन में ही चित
भक्तन ने जब शिवजी को पुकारा, वंहा सिंघासन प्रगट था न्यारा
जिस पर ज्योतिर्लिंग सजा था, मष्तक अश्त्र ही पास पड़ा था
अस्त्र ने सुप्रिय जब ललकारा, दारुक को एक वार में मारा
जैसा शिव का आदेश था आया, जय शिवलिंग नागेश कहलाया
रघुवर की लंका पे चढ़ाई , ललिता ने कला दिखाई
सौ योजन का सेतु बांधा, राम ने उस पर शिव आराधा
रावण मार के जब लौट आये, परामर्श को ऋषि बुलाये
कहा मुनियों ने धयान दीजौ, प्रभु हत्या का प्रायश्चित्य कीजौ
बालू काली ने सीए बनाया, जिससे रघुवर ने ये ध्याया
राम कियो जब शिव का ध्यान, ब्रह्म दलन का धूल गया पाप
हर हर महादेव जय कारी, भूमण्डल में गूंजे न्यारी
जंहा चरना शिव नाम की बहती, उसको सभी रामेश्वर कहते
गंगा जल से यंहा जो नहाये, जीवन का वो हर सख पाए
शिव के भक्तों कभी न डोलो जय रामेश्वर जय शिव बोलो
पारवती बल्ल्भ शंकर कहे जो एक मन होये
शिव करुणा से उसका करे न अनिष्ट कोई
देवगिरि ही सुधर्मा रहता, शिव अर्चन का विधि से करता
उसकी सुदेहा पत्नी प्यारी, पूजती मन से तीर्थ पुरारी
कुछ कुछ फिर भी रहती चिंतित, क्यूंकि थी संतान से वंचित
सुषमा उसकी बहिन थी छोटी, प्रेम सुदेहा से बड़ा करती
उसे सुदेहा ने जो मनाया, लगन सुधर्मा से करवाया
बालक सुषमा कोख से जन्मा, चाँद से जिसकी होती उपमा
पहले सुदेहा अति हर्षायी, ईर्ष्या फिर थी मन में समायी
कर दी उसने बात निराली, हत्या बालक की कर डाली
उसी सरोवर में शव डाला, सुषमा जपती शिव की माला
श्रद्धा से जब ध्यान लगाया, बालक जीवित हो चल आया
साक्षात् शिव दर्शन दीन्हे, सिद्ध मनोरथ सरे कीन्हे
वासित होकर परमेश्वर, हो गए ज्योतिर्लिंग घुश्मेश्वर
जो चुगन लगे लगन के मोती, शिव की वर्षा उन पर होती
शिव है दयालु डमरू वाले, शिव है संतन के रखवाले
शिव की भक्ति है फलदायक, शिव भक्तों के सदा सहायक
मन के शिवाले में शिव देखो, शिव चरण में मस्तक टेको
गणपति के शिव पिता हैं प्यारे, तीनो लोक से शिव हैं न्यारे
शिव चरणन का होये जो दास, उसके गृह में शिव का निवास
शिव ही हैं निर्दोष निरंजन, मंगलदायक भय के भंजन
श्रद्धा के मांगे बिन पत्तियां, जाने सबके मन की बतियां
शिव अमृत का प्यार से करे जो निसदिन पान
चंद्रचूड़ सदा शिव करे उनका तो कल्याण
CATEGORIES
- 👉🏻 अमृत वाणी हिंदी भजन लिरिक्स – AmritWaani Hindi Bhajan Lyrics
- 👉🏻 कबीरदास के दोहे – Kabir Das Dohe Hindi Bhajan Lyrics
- 👉🏻 खाटूश्याम भजन – Khatu Shyam Hindi Bhajan Lyrics
- 👉🏻 गंगा माँ भजन लिरिक्स – Ganga Maa Hindi Bhajan Lyrics
- 👉🏻 गीता श्लोक – Geeta Shlok's With Hindi Meaning
- 👉🏻 गुरु देव हिंदी भजन लिरिक्स – Guru Dev Ji hindi Bhajan Lyrics
- 👉🏻 गुरुबानी भजन – Guruwani Hindi Bhajan Lyrics Videos
- 👉🏻 जैन भजन लिरिक्स – Jain Hindi Bhajan Lyrics Mp3 Download
- 👉🏻 ज्ञान कोष – Knowledge Power Park
- 👉🏻 दुर्गा माँ हिंदी भजन लिरिक्स – Durga Maa Hindi Bhajan Lyrics
- 👉🏻 देशभक्ति गाने लिरिक्स – Desh Bhakti Hindi Bhajan Lyrics
- 👉🏻 ध्यान योग MP3 – Meditation Yoga Music Mp3 Downlaod
- 👉🏻 फिल्मी तर्ज हिंदी भजन – Filmi Tarz Hindi Bhajan Lyrics
- 👉🏻 भजन आरती संग्रह – Bhajan Aarti Sangrah Hindi Bhajan Lyrics
- 👉🏻 माँ काली भजन – Maa Kali Hindi Bhajan Lyrics
- 👉🏻 माँ लक्ष्मी जी हिंदी भजन लिरिक्स – Maa Lakshmi Hindi Bhajan Lyrics
- 👉🏻 माँ सरस्वती जी हिंदी भजन लिरिक्स – Maa Saraswati ji Hindi Bhajan lyrics
- 👉🏻 मीरा बाई हिंदी भजन लिरिक्स – Meera Bai Hindi Bhajan Lyrics
- 👉🏻 यीशु हिंदी भजन लिरिक्स – yeshu Hindi Bhajan Lyrics
- 👉🏻 रहस्यमय मंदिर – Mysterious Temple Untold Story
- 👉🏻 रानी सती दादी हिंदी भजन लिरिक्स – Rani Sati Dadi Ji Hindi Bhajan Lyrics
- 👉🏻 विडिओ – Hindi Bhajan Video Mp3 Download
- 👉🏻 विष्णु जी हिंदी भजन लिरिक्स – Vishnu Ji Hindi Bhajan Lyrics
- 👉🏻 वैष्णो देवी हिंदी भजन लिरिक्स – Vaishno Devi Hindi Bhajan lyrics
- 👉🏻 व्रत और त्यौहार – Fast and Festivals
- 👉🏻 श्री कृष्ण हिंदी भजन लिरिक्स – Shri Krishna Hindi Bhajan Lyrics
- 👉🏻 श्री कृष्णा हिंदी भजन लिरिक्स – krishna Hindi Bhajan Lyrics
- 👉🏻 श्री गणेश हिंदी भजन लिरिक्स – Shri Ganesha Hindi Bhajan Lyrics
- 👉🏻 श्री चालीसा भजन लिरिक्स – Chalisha Hindi Bhajan Lyrics
- 👉🏻 श्री बाला जी हिंदी भजन लिरिक्स – Bala ji Hindi Bhajan Lyrics
- 👉🏻 श्री राधा जी हिंदी भजन लिरिक्स – Radha Ji Hindi bhajan Lyrics
- 👉🏻 श्री राम जी हिंदी भजन लिरिक्स – Shri Ram Ji Hindi Bhajan Lyrics
- 👉🏻 श्री शनिदेव जी हिंदी भजन लिरिक्स – Shri Shani Dev ji Ji Hindi Bhajan Lyrics
- 👉🏻 श्री शिव जी हिंदी भजन लिरिक्स – Shiv Ji Hindi Bhajan Lyrics
- 👉🏻 श्री साई बाबा हिंदी भजन लिरिक्स – Sai Baba Hindi Bhajan Lyrics
- 👉🏻 श्रीमद भगवद गीता श्लोक – Shri Mad Bhagwat Geeta Shloka Chant Lyrics
- 👉🏻 श्लोक, मंत्र, जाप – Shloka mantra And Chants MP3 Free Download
- 👉🏻 संतोषी माँ हिंदी भजन लिरिक्स – Santoshi Maa Hindi Bhajan Lyrics
- 👉🏻 हनुमान जी हिंदी भजन लिरिक्स – Hanuman ji Hindi Bhajan Lyrics
- 👉🏻 हस्त रेखा – Palm Astrology Reading
- 👉🏻 हिंदी भजन लिरिक्स – New Hindi Bhajan Lyrics
0 Comments