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Bajrang Baan Paath Bhajan Lyric in Hindi - श्री बजरंग बाण पाठ भजन हिंदी लिरिक्स





Bajrang Baan Paath Bhajan





Singer: HARIHARAN

Music Director: Lalit Sen, Chander

Lyrics: Traditional

Album: Shree Hanuman Chalisa (Hanuman Ashtak)

Music Label: T-Series

श्री हनुमंत लाल की पूजा आराधना में हनुमान चालीसा, बजरंग बाण और संकटमोचन अष्टक का पाठ बहुत ही प्रमुख माने जाते हैं।









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Bajrang Baan Paath Bhajan Lyric in Hindi - श्री बजरंग बाण पाठ भजन हिंदी लिरिक्स


॥ दोहा ॥

निश्चय प्रेम प्रतीति ते,

बिनय करैं सनमान ।

तेहि के कारज सकल शुभ,

सिद्ध करैं हनुमान॥



॥ चौपाई ॥

जय हनुमंत संत हितकारी ।

सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ॥

जन के काज बिलंब न कीजै ।

आतुर दौरि महा सुख दीजै ॥



जैसे कूदि सिंधु महिपारा ।

सुरसा बदन पैठि बिस्तारा ॥

आगे जाय लंकिनी रोका ।

मारेहु लात गई सुरलोका ॥



जाय बिभीषन को सुख दीन्हा ।

सीता निरखि परमपद लीन्हा ॥

बाग उजारि सिंधु महँ बोरा ।

अति आतुर जमकातर तोरा ॥



अक्षय कुमार मारि संहारा ।

लूम लपेटि लंक को जारा ॥

लाह समान लंक जरि गई ।

जय जय धुनि सुरपुर नभ भई ॥



अब बिलंब केहि कारन स्वामी ।

कृपा करहु उर अंतरयामी ॥

जय जय लखन प्रान के दाता ।

आतुर ह्वै दुख करहु निपाता ॥



जै हनुमान जयति बल-सागर ।

सुर-समूह-समरथ भट-नागर ॥

ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले ।

बैरिहि मारु बज्र की कीले ॥



ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा ।

ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा ॥

जय अंजनि कुमार बलवंता ।

शंकरसुवन बीर हनुमंता ॥



बदन कराल काल-कुल-घालक ।

राम सहाय सदा प्रतिपालक ॥

भूत, प्रेत, पिसाच निसाचर ।

अगिन बेताल काल मारी मर ॥



इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की ।

राखु नाथ मरजाद नाम की ॥

सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै ।

राम दूत धरु मारु धाइ कै ॥



जय जय जय हनुमंत अगाधा ।

दुख पावत जन केहि अपराधा ॥

पूजा जप तप नेम अचारा ।

नहिं जानत कछु दास तुम्हारा ॥



बन उपबन मग गिरि गृह माहीं ।

तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं ॥

जनकसुता हरि दास कहावौ ।

ताकी सपथ बिलंब न लावौ ॥



जै जै जै धुनि होत अकासा ।

सुमिरत होय दुसह दुख नासा ॥

चरन पकरि, कर जोरि मनावौं ।

यहि औसर अब केहि गोहरावौं ॥



उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई ।

पायँ परौं, कर जोरि मनाई ॥

ॐ चं चं चं चं चपल चलंता ।

ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता ॥



ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल ।

ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल ॥

अपने जन को तुरत उबारौ ।

सुमिरत होय आनंद हमारौ ॥



यह बजरंग-बाण जेहि मारै ।

ताहि कहौ फिरि कवन उबारै ॥

पाठ करै बजरंग-बाण की ।

हनुमत रक्षा करै प्रान की ॥



यह बजरंग बाण जो जापैं ।

तासों भूत-प्रेत सब कापैं ॥

धूप देय जो जपै हमेसा ।

ताके तन नहिं रहै कलेसा ॥



॥ दोहा ॥

उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै,

पाठ करै धरि ध्यान ।

बाधा सब हर,

करैं सब काम सफल हनुमान ॥




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