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Sun Meri Devi Parvat Vasani Bhajan Lyrics in Hindi - विन्ध्येश्वरी आरती: सुन मेरी देवी पर्वतवासनी भजन हिंदी लिरिक्स




Sun Meri Devi Parvat Vasani Bhajan






भक्त इन पंक्तियां को स्तुति श्री हिंगलाज माता और श्री विंध्येश्वरी माता की आरती के रूप मे प्रयोग करते हैं:







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Sun Meri Devi Parvat Vasani Bhajan Lyrics in Hindi - विन्ध्येश्वरी आरती: सुन मेरी देवी पर्वतवासनी भजन हिंदी लिरिक्स


सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।

कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥



पान सुपारी ध्वजा नारियल ।

ले तेरी भेंट चढ़ायो माँ ॥



सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।

कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥



सुवा चोली तेरी अंग विराजे ।

केसर तिलक लगाया ॥



सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।

कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥



नंगे पग मां अकबर आया ।

सोने का छत्र चडाया ॥



सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।

कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥



ऊंचे पर्वत बनयो देवालाया ।

निचे शहर बसाया ॥



सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।

कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥



सत्युग, द्वापर, त्रेता मध्ये ।

कालियुग राज सवाया ॥



सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।

कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥



धूप दीप नैवैध्य आर्ती ।

मोहन भोग लगाया ॥



सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।

कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥



ध्यानू भगत मैया तेरे गुन गाया ।

मनवंचित फल पाया ॥



सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।

कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥



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