Ticker

10/recent/ticker-posts

Jai Ganesh Jai Gajvadan Kripa Sindhu Bhagwan Bhajan Lyric in Hindi - जय गणेश जय गजवदन, कृपा सिंधु भगवान भजन हिंदी लिरिक्स





Jai Ganesh Jai Gajvadan Kripa Sindhu Bhagwan






★★★★★★★★★★★★★★★★★★


Provided to YouTube by Super Cassettes Industries Limited


Shri Ganesh Jai Jai Gannayak · Anuradha Paudwal



Om Shri Ganesh Jai Jai Gannayak

℗ Super Cassettes Industries Limited


Released on: 2006-08-04

◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆









Download Song Now:


Download















LISTEN SONG ONLINE








यह भी देखें - You May Also Like









Jai Ganesh Jai Gajvadan Kripa Sindhu Bhagwan Bhajan Lyric in Hindi - जय गणेश जय गजवदन, कृपा सिंधु भगवान भजन हिंदी लिरिक्स


जय गणेश जय गजवदन,

कृपा सिंधु भगवान ।

मूसक वाहन दीजिये,

ज्ञान बुद्धि वरदान ॥1॥



शिव नंदन गौरी तनय,

प्रथम पूज्य गणराज ।

सकल अमंगल को हरो,

पूरण हो हर काज ॥2॥



हाथ जोड़ विनती करूँ,

देवों के सरताज ।

भव बाधा सब दूर हो,

ऋद्धि सिद्धि गणराज ॥3॥



मंगलकारी देव तुम,

मंगल करो गणेश ।

जग वंदन तुम्हरे करें,

काटो सबका क्लेश ॥4॥



गिरिजा पुत्र गणेश की,

बोलो जय-जयकार ।

गणपति मेरे देव तुम,

देवों के सरकार ॥5॥



मूसक वाहन साजते,

एक दन्त भगवान ।

नमन करूँ गणदेव जी,

आओ बुद्धि निधान ॥6॥



प्रथम पुज्य वन्दन करूँ,

महादेव के लाल ।

ऋद्धि सिद्धि दाता तुम्हीं,

तुम हो दीनदयाल ॥7॥



देवों के सरताज हो,

ज्ञान वान गुणवान ।

गणपति बप्पा मोरिया,

लीला बड़ी महान ॥8॥



तीन लोक चौदह भुवन,

तेरी जय-जयकार ।

हे गणपति गणदेवता,

हर लो दुःख अपार ॥9॥



सुर नर मुनि सब हैं भजे,

तुमको हे शिव लाल ।

प्रमुदित माता पार्वती,

जय हो दीन दयाल ॥10॥



कैलाशी शिव सुत सुनो,

करो भक्त कल्याण ।

सब जन द्वारे आ खड़ा,

आज बचालो प्राण ॥11॥



महादेव के लाल तुम,

सभी झुकाते शीष ।

हम निर्धन लाचार हैं,

दो हमको आशीष ॥12॥



गणनायक हे शंभु सुत,

विघ्न हरण गणराज ।

सकल क्लेश संताप को,

त्वरित मिटा दो आज ॥13॥



वक्रतुंड शुचि शुंड है,

तिलक त्रिपुंडी भाल ।

छबि लखि सुर नर आत्मा,

शिव गौरी के लाल ॥14॥



उर मणिमाला शोभते,

रत्न मुकुट सिर साज ।

मोदक हाथ कुठार है,

सुन्दर मुख गणराज ॥15॥



पीताम्बर तन पर सजे,

चरण पादुका धार ।

धनि शिव ललना सुख भवन,

मेरे तारणहार ॥16॥



ऋद्धि सिद्धि पति शुभ सदन,

महिमा अमिट अपार ।

जन्म विचित्र चरित्र है,

मूसक वाहन द्वार ॥17॥



एक रदन गज के बदन,

काया रूप विशाल ।

पल में हरते दुःख को,

हे प्रभु दीन दयाल ॥18॥



माता गौरा के तनय,

ज्ञान बुद्धि भण्डार ।

गहे शरण प्रभु राखिये,

हम हैं दीन अपार ॥19॥



शिवा शंभु के लाल तुम,

करुणा बड़े निधान ।

विपदा में संसार है,

हरो कष्ट भगवान ॥20॥

- बोधन राम निषादराज `विनायक`



CATEGORIES



Print Friendly and PDF

Post a Comment

0 Comments