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Zakhm-e-Tanhai Mein Song Lyrics in Hindi - ज़ख्म-ए-तन्हाई में हिंदी लिरिक्स





Zakhm-e-Tanhai Mein





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Lyrics By: मुज़फ्फर वारसी

Performed By: गुलाम अली


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Zakhm-e-Tanhai Mein Song Lyrics in Hindi - ज़ख्म-ए-तन्हाई में हिंदी लिरिक्स



ज़ख्म-ए-तन्हाई में खुश्बू-ए-हिना किसकी थी

साया दिवार पे मेरा था, सदा किसकी थी



आंसुओं से ही सही भर गया दामन मेरा

हाथ तो मैंने उठाये थे, दुआ किसकी थी

साया दीवार पे...



मेरी आहों की ज़बां कोई समझता कैसे

ज़िन्दगी इतनी दुखी मेरे सिवा किसकी थी

साया दीवार पे...



छोड़ दी किसके लिए तूने 'मुज़फ्फर' दुनिया

जुस्तजू सी तुझे हर वक्त बता किसकी थी

साया दीवार पे...



आगे (रिकॉर्डिंग में नहीं है पर गज़ल में है):

उसकी रफ़्तार से लिपटी रहती मेरी आँखें

उसने मुड़ कर भी ना देखा कि वफ़ा किसकी थी



वक्त की तरह दबे पाँव ये कौन आया

मैं अँधेरा जिसे समझा वो काबा किसकी थी

आग से दोस्ती उसकी थी जला घर मेरा

दी गयी किसको सजा और खता किसकी थी



मैंने बिनाइयां बो कर भी अँधेरे काटे

किसके बस में थी ज़मीं अब्र-ओ-हवा किसकी थी




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