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Do Paise Ke Kam Ke Liye 30 Sal Ki Bali Lyrics in Hindi - दो पैसे के काम के लिए तीस साल की बलि! हिंदी लिरिक्स





Do Paise Ke Kam Ke Liye 30 Sal Ki Bali








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Do Paise Ke Kam Ke Liye 30 Sal Ki Bali Lyrics in Hindi - दो पैसे के काम के लिए तीस साल की बलि! हिंदी लिरिक्स



स्वामी विवेकानंद एक बार कहीं जा रहे थे। रास्ते में नदी पड़ी तो वे वहीं रुक गए क्योंकि नदी पार कराने वाली नाव कहीं गई हुई थी। स्वामीजी बैठकर राह देखने लगे कि उधर से नाव लौटे तो नदी पार की जाए।



एका-एक वहां एक महात्मा भी आ पहुंचे। स्वामीजी ने अपना परिचय देते हुए उनका परिचय लिया। बातों ही बातों में महात्माजी को पता चला की स्वामीजी नदी किनारे नाव की प्रतीक्षा कर रहे हैं।


महात्मा जी बोले, अगर ऐसी छोटी-मोटी बाधाओं को देखकर रुक जाओगे तो दुनिया में कैसे चलोगे? तुम तो स्वामी हो, बड़े आधात्यात्मिक गुरु और दार्शनिक माने जाते हो। जरा सी नदी नहीं पार कर सकते? देखो, नदी ऐसे पार की जाती है।


महात्मा जी खड़े हुए और पानी की सतह पर तैरते हुए लंबा चक्कर लगाकर वापस स्वामी जी के पास आ खड़े हुए। स्वामीजी ने आश्चर्य चकित होते हुए पूछा, महात्माजी, यह सिद्धि आपने कहां और कैसे पाई?


महात्मा जी मुस्कुराए और बड़े गर्व से बोले, यह सिद्धि ऐसे ही नहीं मिल गई। इसके लिए मुझे हिमालय की गुफाओं में तीस साल तपस्या करनी पड़ी।


महात्मा की इन बातों को सुनकर स्वामी जी मुस्करा कर बोले, आपके इस चमत्कार से मैं आश्चर्यचकित तो हूं लेकिन नदी पार करने जैसे काम जो दो पैसे में हो सकता है, उसके लिए आपने अपनी जिंदगी के तीस साल बर्बाद कर दिए।


यानी दो पैसे के काम के लिए तीस साल की बलि! ये तीस साल अगर आप मानव कल्याण के किसी कार्य में लगाते या कोई दवा खोजने में लगाते, जिससे लोगों को रोग से मुक्ति मिलती तो आपका जीवन सचमुच सार्थक हो जाता।



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