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Ek Din Ka Punya Hi Kyun Lyrics in Hindi - एक दिन का पुण्य ही क्यूँ? हिंदी लिरिक्स: प्रेरक कहानी





Ek Din Ka Punya Hi Kyun








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Ek Din Ka Punya Hi Kyun Lyrics in Hindi - एक दिन का पुण्य ही क्यूँ? हिंदी लिरिक्स: प्रेरक कहानी



निर्जला एकादशी से अगले दिन एक भिखारी एक सज्जन की दुकान पर भीख मांगने पहुंचा। सज्जन व्यक्ति ने 1 रुपये का सिक्का निकाल कर उसे दे दिया।

भिखारी को प्यास भी लगी थी, वो बोला बाबूजी एक गिलास पानी भी पिलवा दो, गला सूखा जा रहा है।


सज्जन व्यक्ति ने गुस्से में कहा: तुम्हारे बाप के नौकर बैठे हैं क्या हम यहां, पहले पैसे, अब पानी, थोड़ी देर में रोटी मांगेगा, चल भाग यहाँ से।


भिखारी बोला: बाबूजी गुस्सा मत कीजिये मैं आगे कहीं पानी पी लूंगा। पर जहां तक मुझे याद है, कल आपने निर्जला एकादशी व्रत कथा का पाठ किया था, तथा कल इसी दुकान के बाहर मीठे पानी की छबील लगी थी और आप स्वयं लोगों को रोक रोक कर जबरदस्ती अपने हाथों से गिलास पकड़ा रहे थे, मुझे भी कल आपके हाथों से दो गिलास शर्बत पीने को मिला था। मैंने तो यही सोचा था,आप बड़े धर्मात्मा आदमी है, पर आज मेरा भरम टूट गया।


कल की छबील तो शायद आपने लोगों को दिखाने के लिये लगाई होगी?

मुझे आज आपने कड़वे वचन बोलकर अपना कल का सारा पुण्य खो दिया। मुझे छमा करना अगर मैं कुछ ज्यादा बोल गया हूँ तो।


सज्जन व्यक्ति को बात दिल पर लगी, उसकी नजरों के सामने बीते दिन का प्रत्येक दृश्य घूम गया। उसे अपनी गलती का अहसास हो रहा था। वह स्वयं अपनी गद्दी से उठा और अपने हाथों से गिलास में पानी भरकर उस बाबा को देते हुए उसे क्षमा प्रार्थना करने लगा।


भिखारी: बाबूजी मुझे आपसे कोई शिकायत नही, परन्तु अगर मानवता को अपने मन की गहराइयों में नही बसा सकते तो एक-दो दिन किये हुए पुण्य कार्य व्यर्थ ही हैं। मानवता का मतलब तो हमेशा शालीनता से मानव व जीव की सेवा करना है।


आपको अपनी गलती का अहसास हुआ, ये आपके व आपकी सन्तानों के लिये अच्छी बात है। आपका परिवार हमेशा स्वस्थ व दीर्घायु बना रहे ऐसी मैं कामना करता हूँ, यह कहते हुए भिखारी आगे बढ़ गया।


सेठ ने तुरंत अपने बेटे को आदेश देते हुए कहा: कल से दो घड़े पानी दुकान के आगे-आने जाने वालों के लिये जरूर रखे हो। उसे अपनी गलती सुधारने पर बड़ी खुशी हो रही थी।




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