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Jisaka Bhi Manobal Jaga Lyrics in Hindi - जिसका भी मनोबल जागा: प्रेरक कहानी हिंदी लिरिक्स





Jisaka Bhi Manobal Jaga








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Jisaka Bhi Manobal Jaga Lyrics in Hindi - जिसका भी मनोबल जागा: प्रेरक कहानी हिंदी लिरिक्स



राजा सुकीर्ति के पास एक लौहश्रुन्घ नामक हाथी था। राजा ने कई युद्ध में उसपर चढ़ाई करके विजय पायी थी। बचपन से ही उसे इस प्रकार से तैयार किया गया था कि युद्ध में शत्रु सैनिको को देखकर वो उनपर इस तरह टूट पड़ता कि देखते ही देखते शत्रु के पाँव उखड जाते।


समय गुजरता गया, और एक समय ऐसा भी आया, जब वह वृद्ध दिखने लगा। अब वह पहले की तरह कार्य नहीं कर पाता था। इसलिए अब राजा उसे युद्ध क्षेत्र में भी नहीं भेजते थे। वह सिर्फ हाथी शाला की शोभा बन कर रह गया। अब उसपर कोई ध्यान नहीं देता था।


एक दिन वह सरोवर में जल पीने के लिए गया, लेकिन वहीं कीचड़ में उसका पैर धँस गया और फिर धँसता ही चला गया। उस हाथी ने बहुत कोशिश की, लेकिन वह उस कीचड़ से स्वयं को नहीं निकाल पाया। उसकी चिंघाड़ने की आवाज से लोगों को यह पता चल गया कि वह हाथी संकट में है।


हाथी के फँसने का समाचार राजा तक भी पहुँचा। राजा समेत सभी लोग हाथी के आसपास ईकट्ठे हो गए और विभिन्न प्रकार के प्रयत्न उसे निकालने के लिए करने लगे। लेकिन बहुत देर तक प्रयास करने के उपरांत कोई मार्ग नहीं निकला..


तभी गौतम बुद्ध मार्गभ्रमण कर रहे थे। राजा और सारा मंत्रीमंडल तथागत गौतम बुद्ध के पास गये और अनुरोध किया कि आप हमें इस विकट परिस्थिति में मार्गदर्शन करें गौतम बुद्ध ने सबसे पहले घटनास्थल का निरीक्षण किया।


और फिर राजा को सुझाव दिया कि युद्ध का माहौल बनाया गया, वाद्ययंत्र मंगवाए गए। नगाड़े बजवाये गए और ऐसा माहौल बनाया गया कि शत्रु सैनिक लौहश्रुन्घ की ओर बढ़ रहे है। और फिर तो लौहश्रुन्घ में एक जोश आ गया। गले तक कीचड़ में धस जाने के बावजूद वह जोर से चिंघाड़ लगाकर सैनिको की ओर दौड़ने लगा। बड़ी मुश्किल से उसे संभाला गया।


गौतम बुद्ध ने सबको स्पष्ट किया कि हाथी की शारीरिक क्षमता में कमी नहीं थी, आवश्यकता मात्र उसके अंदर उत्साह के संचार करने की थी। जिसका मनोबल जाग जाता है वो असहाय और अशक्त होने के बावजूद भी असंभव काम कर जाता है।



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