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Nali Ke keede Se Brahamin Kumar Lyrics in Hindi - नाली के कीड़े से ब्राह्मण कुमार तक प्रेरक कहानी हिंदी लिरिक्स






Nali Ke keede Se Brahamin Kumar








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Nali Ke keede Se Brahamin Kumar Lyrics in Hindi - नाली के कीड़े से ब्राह्मण कुमार तक प्रेरक कहानी हिंदी लिरिक्स



एक बार शुकदेव जी के पिता भगवान वेदव्यासजी महाराज कहीं जा रहे थे। रास्ते में उन्होंने देखा कि एक कीड़ा बड़ी तेजी से सड़क पार कर रहा था।


वेदव्यासजी ने अपनी योगशक्ति देते हुए उससे पूछाः तू इतनी जल्दी सड़क क्यों पार कर रहा है? क्या तुझे किसी काम से जाना है? तू तो नाली का कीड़ा है। इस नाली को छोड़कर दूसरी नाली में ही तो जाना है, फिर इतनी तेजी से क्यों भाग रहा है?


कीड़ा बोलाः बाबा जी बैलगाड़ी आ रही है। बैलों के गले में बँधे घुँघरु तथा बैलगाड़ी के पहियों की आवाज मैं सुन रहा हूँ। यदि मैं धीरे-धीर सड़क पार करूँगा तो वह बैलगाड़ी आकर मुझे कुचल डालेगी।


वेदव्यासजीः कुचलने दे। कीड़े की योनि में जीकर भी क्या करना?

कीड़ाः महर्षि! प्राणी जिस शरीर में होता है उसको उसमें ही ममता होती है। अनेक प्राणी नाना प्रकार के कष्टों को सहते हुए भी मरना नहीं चाहते।
वेदव्यास जीः बैलगाड़ी आ जाये और तू मर जाये तो घबराना मत। मैं तुझे योगशक्ति से महान बनाऊँगा। जब तक ब्राह्मण शरीर में न पहुँचा दूँ, अन्य सभी योनियों से शीघ्र छुटकारा दिलाता रहूँगा।


उस कीड़े ने बात मान ली और बीच रास्ते पर रुक गया और मर गया। फिर वेदव्यासजी की कृपा से वह क्रमशः कौआ, सियार आदि योनियों में जब-जब भी उत्पन्न हुआ, व्यासजी ने जाकर उसे पूर्वजन्म का स्मरण दिला दिया।


इस तरह वह क्रमशः मृग, पक्षी, शूद्र, वैश्य जातियों में जन्म लेता हुआ क्षत्रिय जाति में उत्पन्न हुआ। उसे वहाँ भी वेदव्यासजी दर्शन दिये। थोड़े दिनों में रणभूमि में शरीर त्यागकर उसने ब्राह्मण के घर जन्म लिया।


भगवान वेदव्यास जी ने उसे पाँच वर्ष की उम्र में सारस्वत्य मंत्र दे दिया जिसका जप करते-करते वह ध्यान करने लगा। उसकी बुद्धि बड़ी विलक्षण होने पर वेद, शास्त्र, धर्म का रहस्य समझ में आ गया।


सात वर्ष की आयु में वेदव्यास जी ने उसे कहाः कार्त्तिक क्षेत्र में कई वर्षों से एक ब्राह्मण नन्दभद्र तपस्या कर रहा है। तुम जाकर उसकी शंका का समाधान करो।


मात्र सात वर्ष का ब्राह्मण कुमार कार्त्तिक क्षेत्र में तप कर रहे उस ब्राह्मण के पास पहुँच कर बोलाः हे ब्राह्मणदेव! आप तप क्यों कर रहे हैं?


ब्राह्मणः हे ऋषिकुमार! मैं यह जानने के लिए तप कर रहा हूँ कि जो अच्छे लोग है, सज्जन लोग है, वे सहन करते हैं, दुःखी रहते हैं और पापी आदमी सुखी रहते हैं। ऐसा क्यों है?


बालकः पापी आदमी यदि सुखी है, तो पाप के कारण नहीं, वरन् पिछले जन्म का कोई पुण्य है, उसके कारण सुखी है। वह अपने पुण्य खत्म कर रहा है। पापी मनुष्य भीतर से तो दुःखी ही होता है, भले ही बाहर से सुखी दिखाई दे। धार्मिक आदमी को ठीक समझ नहीं होती, उचित दिशा व मंत्र नहीं मिलता इसलिए वह दुःखी होता है। वह धर्म के कारण दुःखी नहीं होता, अपितु समझ की कमी के कारण दुःखी होता है। समझदार को यदि कोई गुरु मिल जायें तो वह नर में से नारायण बन जाये, इसमें क्या आश्चर्य है?


ब्राह्मणः मैं इतना बूढ़ा हो गया, इतने वर्षों से कार्त्तिक क्षेत्र में तप कर रहा हूँ। मेरे तप का फल यही है कि तुम्हारे जैसे सात वर्ष के योगी के मुझे दर्शन हो रहे हैं। मैं तुम्हें प्रणाम करता हूँ।


बालकः नहीं… नहीं, महाराज! आप तो भूदेव हैं। मैं तो बालक हूँ। मैं आपको प्रणाम करता हूँ।


उसकी नम्रता देखकर ब्राह्मण और खुश हुआ। तप छोड़कर वह परमात्मचिन्तन में लग गया। अब उसे कुछ जानने की इच्छा नहीं रही। जिससे सब कुछ जाना जाता है उसी परमात्मा में विश्रांति पाने लग गया। इस प्रकार नन्दभद्र ब्राह्मण को उत्तर दे, निःशंक कर सात दिनों तक निराहार रहकर वह बालक सूर्यमन्त्र का जप करता रहा और वहीं बहूदक तीर्थ में उसने शरीर त्याग दिया।


वही बालक दूसरे जन्म में कुषारु पिता एवं मित्रा माता के यहाँ प्रगट हुआ। उसका नाम मैत्रेय पड़ा। इन्होंने व्यासजी के पिता पराशरजी से विष्णु-पुराण तथा बृहत् पाराशर होरा शास्त्र का अध्ययन किया था।


पक्षपात रहित अनुभवप्रकाश नामक ग्रन्थ में मैत्रेय तथा पराशर ऋषि का संवाद आता है। कहाँ तो सड़क से गुजरकर नाली में गिरने जा रहा कीड़ा और कहाँ संत के सान्निध्य से वह मैत्रेय ऋषि बन गया।


सत्संग की बलिहारी है! इसीलिए तुलसीदास जी कहते हैं:

तात स्वर्ग अपवर्ग सुख धरिअ तुला एक अंग ।

तूल न ताहि सकल मिली जो सुख लव सतसंग ॥


यहाँ एक शंका हो सकती है कि वह कीड़ा ही मैत्रेय ऋषि क्यों नहीं बन गया? अरे भाई! यदि आप पहली कक्षा के विद्यार्थी हो और आपको एम. ए. में बिठाया जाये तो क्या आप पास हो सकते हो? नहीं। दूसरी, तीसरी, चौथी दसवीं बारहवीं बी.ए. आदि पास करके ही आप एम.ए. में प्रवेश कर सकते हो।



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