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Sevabhav Mein Sneh Ke Aansoo Lyrics in Hindi - सेवभाव में स्नेह के आँसू हिंदी लिरिक्स : प्रेरक कहानी





Sevabhav Mein Sneh Ke Aansoo







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Sevabhav Mein Sneh Ke Aansoo Lyrics in Hindi - सेवभाव में स्नेह के आँसू हिंदी लिरिक्स : प्रेरक कहानी



सब्जी वाले ने तीसरी मंजिल की घंटी का बटन दबाया। ऊपर बालकनी का दरवाजा खोलकर बाहर आई महिला ने नीचे देखा।

बीबी जी! सब्जी ले लो। बताओ क्या-क्या तोलना है? कई दिनों से आपने सब्जी नहीं खरीदी मुझसे, कोई और देकर जा रहा है क्या? सब्जी वाले ने कहा।


रुको भैया! मैं नीचे आती हूँ। महिला नीचे उतर कर आई और सब्जी वाले के पास आकर बोली: भैया! तुम हमारे घर की घंटी मत बजाया करो। हमें सब्जी की जरूरत नहीं है।सब्जीवाले ने कहा: कैसी बात कर रही हैं बीबी जी! सब्जी खाना तो सेहत के लिए बहुत जरूरी होता है। किसी और से लेती हो क्या सब्जी?


नहीं भैया! उनके पास अब कोई काम नहीं है। किसी तरह से हम लोग अपने आप को जिंदा रखे हुए हैं। जब सब ठीक हो जाएगा, घर में कुछ पैसे आएंगे, तो तुमसे ही सब्जी लिया करूंगी।


मैं किसी और से सब्जी नहीं खरीदती हूँ। तुम घंटी बजाते हो तो उन्हें बहुत बुरा लगता है! उन्हें अपनी मजबूरी पर गुस्सा आने लगता है। इसलिए भैया अब तुम हमारी घंटी मत बजाया करो। इतना कहकर महिला अपने घर में वापिस जाने लगी।



बहन जी! तनिक रुक जाओ। हम इतने बरस से आपको सब्जी दे रहे हैं। जब तुम्हारे अच्छे दिन थे, तब तुमने हमसे खूब सब्जी और फल लिए थे। अब अगर थोड़ी-सी परेशानी आ गई है, तो क्या हम तुमको ऐसे ही छोड़ देंगे?


सब्जी वाले हैं! कोई नेता जी तो है नहीं कि वादा करके छोड़ दें। रुके रहो दो मिनिट।


और सब्जी वाले ने एक थैली के अंदर टमाटर, आलू, प्याज, घीया, कद्दू और करेले डालने के बाद धनिया और मिर्च भी उसमें डाल दिया।


महिला हैरान थी! उसने तुरंत कहा: भैया! तुम मुझे उधार सब्जी दे रहे हो, कम से कम तोल तो लेते और मुझे पैसे भी बता दो। मैं तुम्हारा हिसाब लिख लूंगी। जब सब ठीक हो जाएगा तो तुम्हें तुम्हारे पैसे वापस कर दूंगी।


वाह! ये क्या बात हुई भला? तोला तो इसलिए नहीं है कि कोई मामा अपने भांजी-भाँजे से पैसे नहीं लेता हैं और बहिन! मैं कोई अहसान भी नहीं कर रहा हूँ। ये सब तो यहीं से कमाया है, इसमें तुम्हारा हिस्सा भी है। गुड़िया के लिए ये आम रख रहा हूँ, और भाँजे के लिए मौसमी।


बच्चों का खूब ख्याल रखना, ये बीमारी(COVID) बहुत बुरी है और आखिरी बात भी सुन लो! घंटी तो मैं जब भी आऊँगा, जरूर बजाऊँगा। इतना कहकर सब्जी वाले ने मुस्कुराते हुए दोनों थैलियाँ महिला के हाथ में थमा दीं।

महिला की आँखें मजबूरी की जगह स्नेह के आंसुओं से भरी हुईं थीं।


प्रभु हर परिस्थिति में हमरी सहयता के लिए ना जाने कौन-कौनसे रूप में आते हैं। बस थोड़े से धैर्य का परिचय देते हुए बिखरना नहीं है।


सेवा का दिखावा करने के बजाय कहीं और न जाकर अपने आसपास के लोगों की सेवा यदि प्रत्येक व्यक्ति कर ले तो यह मुश्किल घड़ी भी आसानी से गुजर जाएगी और आत्मा आनंद अमृत से तृप्त होगी।



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