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Har Ek Baat Pe Song Lyrics in Hindi - हर एक बात पे हिंदी लिरिक्स





Har Ek Baat Pe






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Movie/Album: ग़ैर फ़िल्मी ग़ज़ल, मिर्ज़ा ग़ालिब (टी वी सीरियल) (1988)

Music By: "अज्ञात", जगजीत सिंह

Lyrics By: मिर्ज़ा ग़ालिब

Performed By: कुन्दनलाल सहगल, जगजीत सिंह, विनोद सहगल, चित्रा सिंह


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Har Ek Baat Pe Song Lyrics in Hindi - हर एक बात पे हिंदी लिरिक्स



कुन्दनलाल सहगल



हर एक बात पे कहते हो तुम के तू क्या है

तुम्हीं बताओ ये अन्दाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है



रगों में दौड़ने-फिरने के हम नहीं क़ाइल

जब आँख ही से न टपका तो वो लहू क्या है



पियूँ शराब अगर ख़ुम भी देख लूँ दो-चार

ये शीशा-ओ-क़दह-ओ-कूज़ा-ओ-सुबू क्या है



हुआ है शाह का मुसाहिब, फिरे है इतराता

वगरना शहर में ग़ालिब की आबरू क्या है



जगजीत सिंह, विनोद सहगल, चित्रा सिंह



हर एक बात पे कहते हो तुम के तू क्या है

तुम्हीं कहो ये अन्दाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है



रगों में दौड़ते-फिरने के हम नहीं क़ाइल

जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है



चिपक रहा है बदन पर लहू से पैराहन

हमारी जेब को अब हाजत-ऐ-रफू क्या है



जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा

कुरेदते हो जो अब राख जुस्तजू क्या है



रही न ताक़त ऐ गुफ्तार और अगर हो भी

तो किस उम्मीद पे कहिये के आरज़ू क्या है



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